है इतना शोर चारों ओर
सुकुन के पल ढूंढती हूँ
हँसी के ठहाकों में
सुकुन के पल ढूंढती हूँ
हँसी के ठहाकों में
पहले सी ख़ुशी ढूंढती हूँ
आजकल मैं अकेले ही
मुशकिलों का हल ढूंढती हूँ
पुरानी तस्वीरों में
साथ बीते क्षण ढूंढती हूँ
हो साथ तुम मेरे
फिर भी क्यों तुमको ढूंढती हूँ
व्यवस्थित से जीवन में
खालीपन को ढूंढती हूँ
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