जब हंसती हूँ मुस्कुराती हूँ
तब याद करती हूँ तुम्हें
जब गिरने से संभल जाती हूँ
तब याद करती हूँ तुम्हें
अनायास कुछ आहट होती
या मुझसे कोई गलती होती
जब गीत कोई गुनगुनाती हूँ
तब याद करती हूँ तुम्हें
भारीपन होता जब दिल में
सूनापन होता महफ़िल में
जब भी मैं अश्रु छलकाती हूँ
तब याद करती हूँ तुम्हे।
खुशियों के उन चंद क्षणों में
एहसास मिला जो अपनेपन का
उन यादों में जब खो जाती हूँ
तब याद करती हूँ तुम्हें।
विभूती