Thursday, April 16, 2015

काश !!

वो अनकही बातें
वो अनखुले राज़
जिनको मैं खुद न समझ सकी
काश तुम्हें समझा पाती।

वो दबी हुयी सी
मंद मंद सिसकियाँ
जिनको मैं खुद न सुन सकी
काश तुम्हें सुना पाती।

वो डरी हुयी सी
घबराहट भरी धड़कनें
जिन्हें महसूस न कर सकी
काश तुम्हें बता पाती।

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