Tuesday, May 26, 2015

सोचती हूँ कि..

यूँ तो ज़िन्दगी
बसर हो ही जाती
तू अनायास ही
अपना प्यार लिए
इन आँखों के रस्ते
दिल में उतर गया
और घर कर लिया।
मैं डरी, फिर भी
तेरा हाथ थामें
हिम्मत कर के
आगे बढ़ी,
बढ़ती चली गयी
तेरे प्यार में यूँ
सराबोर हो गयी।
अब,
आलम ये है
की तू रोकता है
मैं फिर भी चलती हूँ
तेरा साथ पाकर
नयी सी हो गयी हूँ
खुद पर ही
प्यार आता है
आइना भी यूँ
मुझे देख कर
मंद मंद मुस्काता है।
खोयी खोयी सी रहती हूँ
फिर भी,
ख्याल तेरा रहता है
साँसों के साथ
प्यार तेरा बेहता है
तेरी ख़ुशबू
मेरे चारों ओर रहती है
और मैं फिर
ये सोचने लगती हूँ
की
यूँ तो ज़िन्दगी
बसर हो ही जाती
तूने अपने प्यार से
एक नयी जान डाल दी।

No comments:

Post a Comment