मैं जब मुस्कुराती हूँ ...
तो आपको हँसते पाती हूँ,
गर हूँ परेशान ..
तो तुम आँसू छलकाती हो।
कर दूँ कोई गलती..
तो मुझको समझाती हो।
जीतने पर मेरे...
आप गर्व से इठलाती हो।
हार जाऊं तो
मेरा साहस बन जाती हो..।
क्या पता तुम इतना सब
कैसे कर पाती हो ...
माँ तुम किस जादुई छड़ी से...
कभी शिक्षक...
कभी सहेली...
कभी मार्गदर्शिता बन जाती हो।।।???