Saturday, September 7, 2013

आज के हाइकु

1.
कुछ यूँ गिरा
अभिमान उसका
रेत का टीला!

2.
उड़ जाऊं मैं
खो जाऊं आकाश में
निराली आशा!

3.
घोर अँधेरा
अकेला हूँ मैं यहाँ
तेरा सहारा !

4.
खिले सुमन
गुंजित मेरा मन
बेटी है जन्मी!

5.
महकता है
घर आँगन मेरा
बिटिया जन्मी!

6.
खुशहाल हूँ
जब से मेरे घर
बेटियाँ जन्मी!

7.
तारों के जैसी
चन्द्रमा सी निर्मल
बेटियाँ जन्मी !

8.
तमन्ना मेरी
हई पूरी जबसे
बेटियाँ जन्मी !

9.
नटखट हैं
फूलों सी कोमल
बेटियाँ मेरी!

10.
परियों जैसी
देवी रुपी रत्न हैं
बेटियाँ मेरी !

Thursday, September 5, 2013

हाइकु

1.
आस लगाये
बैठी है मीरा बाई
रंगीन राधा!

2.
कृष्ण मुरारी
ब्रज की धरोहर
मीरा दीवानी!

3.
नाचे मयूर
हुई मीरा दीवानी
बांसुरी बाजी!

4.
अगया कान्हा
माखन को चुराने
गोपियाँ प्यासी!

5.
राधा है कृष्ण
कृष्ण ही तो है राधा
अटूट प्रेम!

6.
बांके बिहारी
खो गयी मैं तुझमें
दीजौ दर्शन!

7.
तेरी दीवानी
ब्रज की हर गोपी
तरसी मीरा!

8.
राजा की बेटी
मीरा भई जोगन
राधा के कृष्ण!

9.
हो कृष्ण तुम
मैं हो गई राधिका
गुंजित धरा!

10.
तेरी बाँसुरी
मेरी स्वर लहरी
प्रेम संगीत!

कुछ हाइकु जो मैंने लिखे हैं।

1.
समय है ये
रुकेगा नहीं कभी
बस चलेगा !!

2.
संभल जा तू
कहता है समय
गिरेगा वर्ना !!

3.
हैं जो  ये रिश्ते
उनको संभाल तू
टूटेगी डोर !!

4.
सरल बन
कठोर तो बहुत
प्राणी हैं यहाँ।।

5.
मुझको तू यूँ
बदनाम न कर
खुद से डर !!

Saturday, August 3, 2013

कुछ और हाइकु

1.
आस लगाये
बैठी है मीरा बाई
रंगीन राधा!

2.
कृष्ण मुरारी
ब्रज की धरोहर
मीरा दीवानी!

3.
नाचे मयूर
हुई मीरा दीवानी
बांसुरी बाजी!

4.
अगया कान्हा
माखन को चुराने
गोपियाँ प्यासी!

5.
राधा है कृष्ण
कृष्ण ही तो है राधा
अटूट प्रेम!

6.
बांके बिहारी
खो गयी मैं तुझमें
दीजौ दर्शन!

7.
तेरी दीवानी
ब्रज की हर गोपी
तरसी मीरा!

8.
राजा की बेटी
मीरा भई जोगन
राधा के कृष्ण!

9.
हो कृष्ण तुम
मैं हो गई राधिका
गुंजित धरा!

10.
तेरी बाँसुरी
मेरी स्वर लहरी
प्रेम संगीत!

आ फिर से चलें

आ फिर से चलें
उन लम्हों को पकड़ें
चल भटकते हुए
इन क़दमों को जकड़े।

आ ढूँढें कहीं से
उस अपनी कसक को
वो सच्ची सी झूठी सी
सर की कसम को।

आ देखें कहाँ है
वो चंचल सा मन
कहाँ पे छिपे हैं
वादों के सुमन।

आ फिर से वो
गलियों की ख़ाक छानें
छिप गया है कहीं पे
वो समय क्यों जानें ।

आ चलें लौट कर
उन मुलाकातों में
चल उलझते हैं फिर से
लम्बी सी बातों में।

आ फिर से चलें
उन लम्हों को पकड़ें
चल भटकते हुए 
इन क़दमों को जकड़ें।

         "विभूती"


Wednesday, June 5, 2013

इंतज़ार

तुम्हारा यूँ मसरूफ रहना,
मेरा इंतज़ार करना
आशा भरी निगाहों से
तुम्हें देखना..
की शायद अब तुम समझ सको
मेरी बातों को

इंतज़ार करती हूँ
तुम्हारे मुस्कुराने का
छोटी छोटी बातों में
झट से गले लग जाने का

इंतज़ार है मुझे
तुमसे फिर से रूठ जाने का
अपने ही अंदाज़ में
तुम्हारा मुझे मानाने का

फिर भी सोचती हूँ
की इंतज़ार तू तुम्हें भी है
उन तमाम मुलाकातों का
हाँ इंतज़ार तो तुम्हें भी है ।।

हाइकु

1.
समय है ये
रुकेगा नहीं कभी
बस चलेगा !!

2.
संभल जा तू
कहता है समय
गिरेगा वर्ना !!

3.
हैं जो  ये रिश्ते
उनको संभाल तू
टूटेगी डोर !!

4.
सरल बन
कठोर तो बहुत
प्राणी हैं यहाँ।।

5.
मुझको तू यूँ
बदनाम न कर
खुद से डर !!

Wednesday, May 15, 2013

माँ

मैं जब मुस्कुराती हूँ  ...
तो आपको हँसते पाती हूँ,
गर हूँ परेशान ..
तो तुम आँसू छलकाती हो।
कर दूँ कोई गलती..
तो मुझको समझाती हो।
जीतने पर मेरे...
आप गर्व से इठलाती हो।
हार जाऊं तो
मेरा साहस बन जाती हो..।

क्या पता तुम इतना सब
कैसे कर पाती हो ...
माँ तुम किस जादुई छड़ी से...
कभी शिक्षक...
कभी सहेली...
कभी मार्गदर्शिता बन जाती हो।।।???

Sunday, April 14, 2013

तेरी ख़ुशबू !!


दूरियां जितनी भी हो 
खुद को समझती हूँ मैं 
रोज बस इसी तरह ...
तेरी ख़ुशबू  ओढ़  कर सो जाती हूँ मैं 


वो एकाकीपन का मिलना 
तेरी मुस्कान पे मेरे अधरों का खिलना 
रोज़ बस इसी तरह ...
यादों के भंवर में खो जाती हूँ मैं 

ये बेरुखी ये फासले 
कहीं कम न हो जाये मेरे हौसले 
रोज़ बस इसी तरह ..
क्यूँ ये सोच के घबरा जाती हूँ मैं 

न हो भले हाथों में हाथ 
तू हमेशा है मेरे साथ 
रोज़ बस इसी तरह ...
यूँ गिर के संभल जाती हूँ मैं 
तेरी ख़ुशबू ओढ़ के सो जाती हूँ मैं !!!

Tuesday, March 26, 2013

Holi

लो फिर आ गयी होली 
साथ अपने लिये 
बचपन की यादों की टोली 

बहुत याद आती है 
गुब्बारों की मार 
आज भी भिगो देती है 
पिचकारी की धार 
लो फिर आ गयी होली ,,,

टेसू के फूलों से 
रंग को बनाना 
चन्दन की खुशबू से 
घर का महक जाना 
लो फिर आ गयी होली,,,

रिश्तों में घुलती 
गुजिया की मिठास 
गुलाल के रंगों में 
अपनेपन का आभास 
लो फिर आ गयी होली,,,

आज फिर से है आया 
होली का त्यौहार 
रासायनिक से रंगों का 
संग लिए उपहार 

गुजिया में भरा है 
क्यूँ नकली सा मावा 
चन्दनो को लिए 
कर रहे सब दिखावा 

आओ चलें हम 
मिलावट से दूर 
रंगों से बांटें 
खुशियाँ भरपूर 

लो फिर आ गयी होली .....

"विभूति"

Sunday, March 24, 2013

है इतना शोर  चारों ओर 
सुकुन के पल ढूंढती  हूँ
हँसी के ठहाकों में
पहले सी ख़ुशी ढूंढती हूँ

आजकल मैं अकेले ही
मुशकिलों का हल  ढूंढती  हूँ
पुरानी तस्वीरों  में 
साथ बीते क्षण  ढूंढती  हूँ

हो साथ तुम मेरे
फिर भी क्यों  तुमको  ढूंढती  हूँ
व्यवस्थित  से जीवन में 
खालीपन को  ढूंढती  हूँ