Saturday, August 3, 2013

कुछ और हाइकु

1.
आस लगाये
बैठी है मीरा बाई
रंगीन राधा!

2.
कृष्ण मुरारी
ब्रज की धरोहर
मीरा दीवानी!

3.
नाचे मयूर
हुई मीरा दीवानी
बांसुरी बाजी!

4.
अगया कान्हा
माखन को चुराने
गोपियाँ प्यासी!

5.
राधा है कृष्ण
कृष्ण ही तो है राधा
अटूट प्रेम!

6.
बांके बिहारी
खो गयी मैं तुझमें
दीजौ दर्शन!

7.
तेरी दीवानी
ब्रज की हर गोपी
तरसी मीरा!

8.
राजा की बेटी
मीरा भई जोगन
राधा के कृष्ण!

9.
हो कृष्ण तुम
मैं हो गई राधिका
गुंजित धरा!

10.
तेरी बाँसुरी
मेरी स्वर लहरी
प्रेम संगीत!

आ फिर से चलें

आ फिर से चलें
उन लम्हों को पकड़ें
चल भटकते हुए
इन क़दमों को जकड़े।

आ ढूँढें कहीं से
उस अपनी कसक को
वो सच्ची सी झूठी सी
सर की कसम को।

आ देखें कहाँ है
वो चंचल सा मन
कहाँ पे छिपे हैं
वादों के सुमन।

आ फिर से वो
गलियों की ख़ाक छानें
छिप गया है कहीं पे
वो समय क्यों जानें ।

आ चलें लौट कर
उन मुलाकातों में
चल उलझते हैं फिर से
लम्बी सी बातों में।

आ फिर से चलें
उन लम्हों को पकड़ें
चल भटकते हुए 
इन क़दमों को जकड़ें।

         "विभूती"