तुम्हारा यूँ मसरूफ रहना,
मेरा इंतज़ार करना
आशा भरी निगाहों से
तुम्हें देखना..
की शायद अब तुम समझ सको
मेरी बातों को
इंतज़ार करती हूँ
तुम्हारे मुस्कुराने का
छोटी छोटी बातों में
झट से गले लग जाने का
इंतज़ार है मुझे
तुमसे फिर से रूठ जाने का
अपने ही अंदाज़ में
तुम्हारा मुझे मानाने का
फिर भी सोचती हूँ
की इंतज़ार तू तुम्हें भी है
उन तमाम मुलाकातों का
हाँ इंतज़ार तो तुम्हें भी है ।।