Tuesday, March 26, 2013

Holi

लो फिर आ गयी होली 
साथ अपने लिये 
बचपन की यादों की टोली 

बहुत याद आती है 
गुब्बारों की मार 
आज भी भिगो देती है 
पिचकारी की धार 
लो फिर आ गयी होली ,,,

टेसू के फूलों से 
रंग को बनाना 
चन्दन की खुशबू से 
घर का महक जाना 
लो फिर आ गयी होली,,,

रिश्तों में घुलती 
गुजिया की मिठास 
गुलाल के रंगों में 
अपनेपन का आभास 
लो फिर आ गयी होली,,,

आज फिर से है आया 
होली का त्यौहार 
रासायनिक से रंगों का 
संग लिए उपहार 

गुजिया में भरा है 
क्यूँ नकली सा मावा 
चन्दनो को लिए 
कर रहे सब दिखावा 

आओ चलें हम 
मिलावट से दूर 
रंगों से बांटें 
खुशियाँ भरपूर 

लो फिर आ गयी होली .....

"विभूति"

Sunday, March 24, 2013

है इतना शोर  चारों ओर 
सुकुन के पल ढूंढती  हूँ
हँसी के ठहाकों में
पहले सी ख़ुशी ढूंढती हूँ

आजकल मैं अकेले ही
मुशकिलों का हल  ढूंढती  हूँ
पुरानी तस्वीरों  में 
साथ बीते क्षण  ढूंढती  हूँ

हो साथ तुम मेरे
फिर भी क्यों  तुमको  ढूंढती  हूँ
व्यवस्थित  से जीवन में 
खालीपन को  ढूंढती  हूँ