लो फिर आ गयी होली
साथ अपने लिये
बचपन की यादों की टोली
बहुत याद आती है
गुब्बारों की मार
आज भी भिगो देती है
पिचकारी की धार
लो फिर आ गयी होली ,,,
टेसू के फूलों से
रंग को बनाना
चन्दन की खुशबू से
घर का महक जाना
लो फिर आ गयी होली,,,
रिश्तों में घुलती
गुजिया की मिठास
गुलाल के रंगों में
अपनेपन का आभास
लो फिर आ गयी होली,,,
आज फिर से है आया
होली का त्यौहार
रासायनिक से रंगों का
संग लिए उपहार
गुजिया में भरा है
क्यूँ नकली सा मावा
चन्दनो को लिए
कर रहे सब दिखावा
आओ चलें हम
मिलावट से दूर
रंगों से बांटें
खुशियाँ भरपूर
लो फिर आ गयी होली .....
"विभूति"