Wednesday, February 10, 2016

बाँवरी

तुम जब मेरी आँखों में देखते हो, तो ऐसा लगता है मानो समुन्द्र की तमाम गहराइयाँ तुम्हारी आँखों के सामने कुछ नहीं हैं। ऐसा लगता है की जैसे हर सपने को पूरा करने की हसरत भरी नज़र मुझे इस लिए देख रही है क्योंकि उसको भी ये यकीं है की उसकी कसक को सिर्फ मेरी ही नज़र देख सकेगी। तुम्हारी आँखें हर उस लम्हें को अपने अंदर समेट लेना चाहती हैं जो तुम मेरे साथ बिताते हो। समेट लेना चाहती हैं तुम्हारी आँखें मुझे भी उस हर बीते लम्हें के साथ खुद में। और मैं, मैं जैसे सुध बुध सब खो कर तेरे साथ, तेरा हाथ थामें तेरे हर सपने में तेरे साथ ही चलती हूँ। खो जाती हूँ समुन्द्र की उस गहरायी में जहाँ प्यार की लहरें मुझे अपनी ओर खींचती हैं। प्यार का एक बवंडर मुझे ज़ोर से जकड़ के अपने अंदर समा लेता है। मैं मुस्कुराते हुए उस संपूर्ण समर्पण का एहसास लिए उस बवंडर की तेह तक चली जाती हूँ। और तुम कहते हो बाँवरी हूँ मैं।

तेरे हाथों की पहली छुअन आज भी याद है मुझे। आज भी उस सिहरन को भूल नहीं पायी हूँ मैं। एहसास आज भी होता है तेरे हाथों की पहली छुअन की गर्माहट का, मेरे मन की कंपकपाहट का। धड़कनों की गति आज भी बढ़ जाती है जब तेरी उँगलियाँ मेरे हाथों की लकीरों पर चलती हैं। मेरे हाथ को पकड़ कर जब भी तू सहलाता है, तो तसल्ली दिल को हो जाती है की कोई है जो हर पल मेरे साथ है। मेरे गेसू तेरे हाथों की खुशबू से महकते हैं और हर पल तेरे साथ होने का एहसास दिलाते हैं। और तुम कहते हो बाँवरी हूँ मैं।

तेरी बाहों में सिमट कर खुद को इतना महफूज़ पाती हूँ की जैसे दुनिया के हर दुःख से दूर हूँ। ऐसा लगता है की जैसे तू साँचा है और मैं कच्ची मिट्टी हूँ, तू जैसा ढालेगा, वही आकार ले लूंगी। मन में इतना हल्कापन महसूस होता है की हवा से भी हल्की हो जाती हूँ। दिल कहता ही काश वक्त यहीं रुक जाए, थम जाए ,ठहर जाए वहीँ पे। तुम मुझमें खो जाओ और मैं तुम में खुद को तलाश करती रहूँ। ज़िन्दगी भर की तमाम खुशियाँ छोटी लगती हैं तेरी बाहों में आकर। कितने ही दुःख क्यों न हों, चेहरे पे मुस्कान खुद बा खुद आ जाती है। और मैं आँखें बंद किये उस एहसास को अपने अंदर समेटे तेरी बाहों में खुद को छुपा लेती हूँ। और तुम कहते हो बाँवरी हूँ मैं।

हर मुलाकात के बाद खुद को तेरे और करीब पाती हूँ। तुझको देखती हूँ और खो जाती हूँ, उस दुनिया में जहाँ सपनो को अपनी ख़्वाहिशों की पायल पहना देती हूँ। और उस पायल के

Tuesday, August 4, 2015

तुम ही हो मेरे भाव
तुम से ही है मेरा हर चाव
लेकिन हर भाव व चाव जहाँ थम जाएँ
वो तुम में ही है मेरा अंतिम पड़ाव

Saturday, July 11, 2015

तेरे प्यार में मैं यूँ बिखर रही हूँ
हाँ मैं हर रोज़ यूँ निखर रही हूँ

Monday, June 15, 2015

मुक्तक

तुझसे ऐसे मिली की मैं घुलती रही
मोम के जैसे ही मैं पिघलती रही
इतनी नज़दीकियाँ होंगी सोचा न था
प्यार के चाक मैं यूँही सिलती रही

अपने सपनो को तुझसे सजाया करूँ,
जी न पाऊँ मैं ,चाहे तेरे संग मरूँ,
अब तो ले ही लिया मैंने ये फैसला-
प्यारे रंगों से तेरा मैं जीवन भरूँ।

इन हवाओं में खुशबू सी घुलती रही,
मोम के जैसे मैं भी पिघलती रही,
होंगी नज़दीकियाँ ये न सोचा कभी
उसके साँचे में मैं यूँ ही ढलती रही।
~विभूती

Wednesday, June 10, 2015

हाँ सुना था ये मैंने किसी से कभी
रूह से रूह का मेल होता तभी
ढूंढती मैं रही, सोचती मैं रही
अब ये जाना की तुझसे हैं रिश्ते सभी

भाव तुमने दिया है मेरे गीत को।
दिल से जाना है तुमने मेरी प्रीत को।
प्यार कर तो लिया आज खालें कसम
अब निभाते रहें नेह की रीत को।

mere hanste hothon ko aur hansane ye kaun aaya hai..........
meri saji duniya ko aur sajaane ye kaun aaya hai.....
dard jo bhi mile un garm sard mausamon me...........
un zakhmon pe marham lagaane ye tu aaya hai.....

Wednesday, May 27, 2015



माँ शारदे तुम्हारी हम आरती उतारे

Tuesday, May 26, 2015

सोचती हूँ कि..

यूँ तो ज़िन्दगी
बसर हो ही जाती
तू अनायास ही
अपना प्यार लिए
इन आँखों के रस्ते
दिल में उतर गया
और घर कर लिया।
मैं डरी, फिर भी
तेरा हाथ थामें
हिम्मत कर के
आगे बढ़ी,
बढ़ती चली गयी
तेरे प्यार में यूँ
सराबोर हो गयी।
अब,
आलम ये है
की तू रोकता है
मैं फिर भी चलती हूँ
तेरा साथ पाकर
नयी सी हो गयी हूँ
खुद पर ही
प्यार आता है
आइना भी यूँ
मुझे देख कर
मंद मंद मुस्काता है।
खोयी खोयी सी रहती हूँ
फिर भी,
ख्याल तेरा रहता है
साँसों के साथ
प्यार तेरा बेहता है
तेरी ख़ुशबू
मेरे चारों ओर रहती है
और मैं फिर
ये सोचने लगती हूँ
की
यूँ तो ज़िन्दगी
बसर हो ही जाती
तूने अपने प्यार से
एक नयी जान डाल दी।